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महिला दिवस : क्या कहता है इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएँ देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं।

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कुछ बोलो खामोश स्त्रियों

एक दिवस आता है और हम अपने आपको समूचा उड़ेल देते हैं, नारों, भाषणों, सेमिनारों और आलेखों में। बड़े-बड़े दावे, बड़ी-बड़ी बातें। यथार्थ इतना क्रूर कि एक कोई घटना तमाचे की तरह गाल पर पड़ती है और हम फिर...

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : प्रश्नों का दिवस

इस सदी के आधुनिक कोने पर खड़े होकर हम आज फिर इसकी आधी आबादी के विषय में सोचने के लिए मजबूर हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस न जाने कितने मंचों पर आयोजित होगा, परिसंवाद, गोष्ठियाँ, चिंतन और विमर्श होंगे।...

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मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ मुझे किसी ने न जाना किसी ने न पहचाना मैं नारी हूँ मेरा काम है लड़ते जाना। लड़ती हूँ मैं पुराने रीति-रिवाजों से करती हूँ अपने बच्चों को सुरक्षित अंधविश्वासों की आँधी से रहती हूँ हरदम अभावों...

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सब पर भारी भारतीय नारी

जिंदगी बहुत कशमकश में उलझी हुई हैं। रोजमर्रा की भागती-दौड़ती जिंदगी में और वह भी खासकर जब सिर्फ गृहिणी न होकर उसके साथ-साथ और भी कई जिम्मेदारियाँ हो और रोजमर्रा के जीवन में आने वाली हर छोटी-बड़ी समस्या।

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नारी तो बस नारी है...

नारी का गुणगान ना आँको भैया नारी तो बस नारी है। अनंत काल से आज तक नारी ही रही है जिसने हर कठिन समय में भी कंधे से कंधा मिला दिया पुरुषों का साथ। फिर भी पुरुषप्रधान इस देश में ना मिल सका ..

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आध्‍यात्‍मि‍क ज्ञान पर स्‍त्रियों की पकड़

यहाँ पर प्रवचनों का आधार शंकराचार्य का आध्‍यात्‍मि‍क उपदेश है। वर्ष में तीन उत्‍सवों के दौरान यहाँ दूर दूर से लोग आते हैं। बाकी दि‍न केवल स्‍थानीय लागों का ही जमावड़ा होता है। संचालन का पूरा कार्य...

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ये है मेरा सफलता मंत्र

ये है उन महिलाओं के विचार व सफलता मंत्र, जो आज कुशल गृहिणियाँ होने के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में भी सफलता अर्जित कर रही हैं। केवल नौकरीपेशा ही नहीं बल्कि हर वो गृहिणी भी एक सफल नारी के खिताब की...

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स्त्री होने का धर्म

स्त्री को स्त्री होने के लिए स्त्री जैसा ही सोचना, समझना और रहना होगा। उसे साहस, संकल्प और एकजुटता का परिचय देना होगा। यह भी कि लड़ाई तब तक जारी रखी जाए जब तक की धर्म, समाज और राजनीति में आमूल परिवर्तन...

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नई छवि से खतरा नहीं : पुरुष उवाच

स्त्री, महिला, खवातीन, औरत, वामा, नारी और वुमन। यह है देश की आधी आबादी को नवाजे जाने वाले संबोधन। संबोधनों की इस भीड़ में एक और शब्द है आज की नारी। आज नारी का एक नया तेजस्वी और चमकदार रूप उभरा है। आज...

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सिर्फ एक दिन ही क्यों?

जल, थल, अग्नि, गगन और समीर इन्हीं पंचतत्वों को मिलाकर ही सृष्टिकर्ता ने 'उसे' भी रचा है। उसके सुंदर सपने भी उम्मीद भरे आकार ग्रहण करते हैं। 'वह' भी अनुभूतियों की मधुरतम सुगंध से सराबोर होना चाहती है।

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